ग्रामोदय में हिन्दी पत्रकारिता की चुनौतियों और संभावनाओं पर हुई संगोष्ठी

ग्रामोदय में हिन्दी पत्रकारिता की चुनौतियों और संभावनाओं पर हुई संगोष्ठी
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– अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बरकरार रखना चाहिए- प्रो नंद लाल मिश्रा
चित्रकूट : महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कला संकाय में हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर हिंदी पत्रकारिता की चुनौतिया और संम्भावनाओं विषयक संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता कला संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर नंदलाल मिश्र की।
        संगोष्ठी में प्रो. मिश्रा ने कहा कि पत्रकारिता और जनसंचार के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया आ चुकी है, किंतु समाचार पत्रों की उपयोगिता और महत्व आज भी बरकरार है। कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रजातंत्र के लिए आवश्यक है, इसलिए इसे बरकरार रखना चाहिए। वर्तमान पत्रकारिता के बदलते स्वरूप पर विचारों की प्रस्तुति के दौरान उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में व्यावसायिकता हावी हो गई है तथा लोक मुद्दों की प्रस्तुति में कमी आई है। मुख्य वक्ता और पत्रकारिता व जनसंचार के प्राध्यापक प्रो वीरेंद्र कुमार व्यास ने बताया कि 30 मई 1826 को पंडित युगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता से उदंत मार्तण्ड नामक अखबार निकाला था, इसीलिए 30 मई को प्रत्येक वर्ष हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। प्रो व्यास ने बताया कि पत्रकारिता ने स्वतंत्रता के पहले और स्वतंत्रता के बाद के विकास में बड़ी भूमिका निभाई है, लेकिन वर्तमान समय में पत्रकारिता के क्षेत्र में अनेक चुनौतिया भी है और संम्भावनाएं भी है। प्रो व्यास ने हिन्दी समाचार पत्रों के उदभव और विकास पर अपनी बात रखते हुए कहा कि आज भी देश के सबसे प्रमुख अखबार हिंदी भाषा मे ही है। सोशल मीडिया में हिन्दी भाषा का ही बोलबाला है। उन्होंने पत्रकारिता के महत्व, भविष्य और सामाजिक उपयोगिता पर अनेक उदाहरण देते हुए कहा कि युवाओं को पत्रकारिता को कॅरियर के रूप अपनाना चाहिए। डॉ विनोद शंकर सिंह ने कहा कि अनुकरणीय चीजों को ही पत्रकारिता में स्थान देना चाहिए। डॉ विभाष चंद्र ने भारतीय और विदेशी मीडिया के कार्यों की तुलना की। प्रो रघुबंश प्रसाद बाजपेयी ने कहा कि समाज के सभी घटकों में नैतिकता की गिरावट की चिंता करते हुए पत्रकारिता के काम को बेहतरीन बताया। डॉ स्वर्णलता शर्मा ने कहा कि आध्यत्मिकता और लोकमंगल की भावना से पत्र और पत्रकारों को काम करना चाहिए। डॉ त्रिभुवन सिंह ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव का पर्व हिंदी के पत्रों और पत्रकारिता के बगैर पूरा नहीं हो सकता। प्रो वाई के सिंह ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता ही समाचार पत्रों के साथ-साथ डिजिटल माध्यमों में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। डॉ सिद्धार्थ शर्मा ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी पत्रकारिता का प्राणतत्व है, इसके लिए भले ही संघर्ष करना पड़े, पर बचाये रखना चाहिए।
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