ज्ञानार्जन का प्रवेश-द्वार है उपनयन संस्कार: आचार्य डॉ. वाजपेयी

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चित्रकूट। आयुषग्राम गुरुकुलम में शिक्षण सत्र 2022-23 के लिए प्रवेश आरंभ होने के पूर्व, गुरुकुलम में प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले बटुकों एवं अन्य बालकों का वैदिक रीति से उपनयन संस्कार सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर आए हुये गणमान्य नागरिकों को संबोधित करते हुये आचार्य डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी ने उपनयन संस्कार के महत्व एवं वर्तमान युग में इसकी महत्ता पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा में वर्णित सोलह संस्कारों में उपनयन संस्कार का शिक्षा की दृष्टि से बड़ा महत्व है। जब बालक ज्ञानार्जन के योग्य हो जाए तो विद्यालय में भेजने के पूर्व सबसे पहले उसका उपनयन संस्कार करना चाहिए। चूंकि उपनयन संस्कार में बालक को गुरु द्वारा ज्ञानार्जन की एक अनुशासित परंपरा में दीक्षित किया जाता है, इसलिए उपनयन संस्कार के पश्चात, वह पूरी तरह से अनुशासित होकर अपनी शिक्षा पूर्ण कर समाज में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करता है। इस अवसर पर, आयुषग्राम गुरुकुलम के प्रधानाचार्य डॉ वेद प्रताप वाजपेयी, उप प्रधानाचार्य आचार्य भूपेन्द्र कुमार पाण्डेय,  ट्रस्टी अनन्तराम त्रिपाठी, प्रबन्धक रामबहादुर त्रिपाठी, राकेश प्रताप सिंह, श्याम प्रकाश शुक्ल, राजू द्विवेदी, बाल्मीकी द्विवेदी व आलोक कुमार सहित आयुष ग्राम गुरुकुलम के आचार्यगण एवं ट्रस्ट के अन्य सभी कर्मचारियों की उपस्थिति रही।

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