– जानी बंदियों की समस्याएं
चित्रकूट ब्यूरो: गोस्वामी तुलसीदास राजकीय महाविद्यालय में गुरुवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पूर्णकालिक सचिव विदुषी मेहा ने एप के माध्यम से वर्चुअल बैठक की। इसमें महाविद्यालय में विधिक सहायता क्लीनिक स्थापना पर विचार विमर्श किया गया।
बैठक में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नीरज गुप्ता भी मौजूद रहे। विदुषी मेहा ने बताया कि बैठक में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय, कॉलेजों व अन्य संस्थाओं में विधिक सहायता क्लीनिक स्थापित कराए जाने के संबंध में विचार विमर्श किया गया। सचिव ने उचित स्थान की शीघ्र व्यवस्था कर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को सूचित करने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि विधिक सहायता क्लीनिक सभी नागरिकों को न्याय पाने एवं सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में मदद करेंगे। विधिक सहायता क्लीनिक एकल खिड़की की तरह कार्य करेंगे जो विधिक सलाह के साथ-साथ आवेदकों को सरकारी योजनाओं के लाभ प्रदान करने में सहायता प्रदान करेंगे। लीगल एड क्लीनिक में वादकारियों की काउंसिलिंग होगी तथा विधिक सहायता का फालोअप भी किया जाएगा। बताया कि इस संबंध में वकीलों, छात्रों, स्वयंसेवी संस्थाओं एवं सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर कार्यशालाएं एवं फील्ड सर्वे किए जाएंगे। नुक्कड़ नाटक, पोस्टर आदि के माध्यम से सामाजिक एवं विधिक विषयों का प्रचार-प्रसार करेंगे। लीगल एड क्लीनिक आम जनता को विधिक सहायता के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।
इसके बाद पूर्णकालिक सचिव ने जिला कारागार का वर्चुअल निरीक्षण किया। इस मौके पर उन्होंने कैदियों से बात भी की। बंदियों ने बताया कि उनकी घर वालों से बात होती है। अपील के विषय में सिद्धदोष बंदियों से बात की गई और उप कारापाल को निर्देशित किया गया कि जिन बंदियों के अपील नंबर ज्ञात नहीं हुए हैं उनके संबंध में नियमानुसार कार्यवाही करें। सचिव ने बंदियों को कॉविड से बचाव के बारे में अवगत कराया।