सतत विकास लक्ष्य प्राप्ति के लिए राज्यों के साथ मिलकर प्रभावी कार्य कर रही हैं मोदी सरकार- नरेंद्र तोमर

सतत विकास लक्ष्य प्राप्ति के लिए राज्यों के साथ मिलकर प्रभावी कार्य कर रही हैं मोदी सरकार- नरेंद्र तोमर
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-एसडीजी वेबसाइट लांचिंग के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा चित्रकूट में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ

चित्रकूट। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों पर, चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित प्रथम त्रिदिवसीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ शुक्रवार को दीनदयाल परिसर के विवेकानंद सभागार में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार प्रभावी कार्य कर रही हैं।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय एवं म.प्र. व उ.प्र. सरकार तथा संयुक्त राष्ट्र की संस्था हेल्थ इनोवेशन एक्सचेंज- यूएनएड्स के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि श्री तोमर ने कहा कि भारत ने दुनिया को अनेक विधाएं दी हैं- अंकगणित, जीरो आदि इसके उदाहरण हैं। हमारे पास सब कुछ था, तभी भारत में लुटेरे आए लेकिन कहीं न कहीं कुछ कमी थी, जो सतत विकास के लक्ष्य आज आजादी के अमृत महोत्सव तक भी पूरे नहीं हो सके। अब यशस्वी प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में विभिन्न केंद्रीय योजनाएं उन समस्त लक्ष्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा सतत विकास के लिए निर्धारित किए गए हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम जैसे बड़े कार्यक्रम भी लागू किए गए है। महिला सशक्तिकरण के लिए आजीविका की दृष्टि से 70 लाख स्वयं सहायता समूहों से 8 करोड़ महिलाएं जुड़ी है, जिन्हें 5 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया जा चुका है। उन्होंने ऐसी केंद्रीय योजनाओं की जानकारी देकर सतत विकास लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया।

श्री तोमर ने कहा कि दीनदयाल शोध संस्थान, चित्रकूट में आना हम सभी को अच्छा लगता है, क्योंकि यहां धरा की पावनता ऐसी है, यह श्रद्धा का केंद्र है। चित्रकूट में श्री नानाजी देशमुख ने दीनदयाल शोध संस्थान केंद्र स्थापित किया। श्रद्धेय नानाजी हमारे बीच नहीं हैं परंतु उनकी संवेदनाएं, ग्राम विकास कार्यों के लक्ष्य व चुनौतियों का सामना करने की दृढ़ता हमारे समक्ष है। यह क्षेत्र दुर्गम-दूरस्थ है लेकिन यहां सतत विकास लक्ष्यों के लिए कार्य हो रहा है। चित्रकूट क्षेत्र में राज्य सरकार, दीनदयाल शोध संस्थान व अन्य संस्थाएं समस्याओं को सुलझाने के लिए काम कर रही हैं। नानाजी का कथन था “मैं अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हूं, अपने वे हैं जो पीड़ित व उपेक्षित हैं”। चित्रकूट व गोंडा के प्रकल्प नानाजी की दूरदृष्टि का परिणाम है। नानाजी का संकल्प गांवों में परिलक्षित होता दिखाई देता है, उसमें पं. दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन का समग्र चिंतन निहित है। पंडित दीनदयाल जी ने अंत्योदय की बात कही थी।

अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन और नीति विश्लेषण संस्थान के उपाध्यक्ष एवं मध्य प्रदेश राज्य नीति एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष डा. सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के माध्यम से भारत के विकास का नया खाका तैयार होगा। वर्ष 2014 के पश्चात संयुक्त राष्ट्र ने यह प्रस्ताव रखा था, जिस पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने न्यूयॉर्क में हस्ताक्षर किए थे। विकास के सतत लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय विकास को बढ़ाने के लिए कार्य कर रहे हैं। देश में वर्ष 2014 से विशेष रूप से उद्यमिता विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान देश डटकर मुकाबला कर सका। सभी संस्थाएं आपस में मिलकर सतत विकास के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कार्य कर रही है।

डा. चतुर्वेदी ने कहा कि भारत की सनातन सोच है, सब एक-दूसरे से प्राकृतिक रूप से जुड़े हुए हैं। यूक्रेन में दवाई, श्रीलंका में ईंधन आपूर्ति, अफ्रीकी देशों में वैक्सीन कार्यक्रम अनेक ऐसे उदाहरण हैं, जो भारत की अंतरराष्ट्रीय पहल को दर्शाते है, जिसमें वसुधैव कुटुंबकम का भाव है।‌ मनुष्य व पर्यावरण अलग अलग नहीं है, यह भारत की सनातनी संस्कृति है, जबकि पश्चिमी देशों के विकास ने प्रकृति का दोहन किया है। पिछले 7 वर्षों में सतत विकास लक्ष्य को लेकर विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का शुभारंभ हुआ है, जिसमें आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, जन-धन योजना, कृषि एवं पर्यावरण पर आधारित योजनाएं, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य, रोजगार एवं उद्यमशीलता आधारित योजनाओं के सफल संचालन से देशभर के करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचा है। नानाजी का यह केंद्र अनूठा है। यहां कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से प्रभावी कार्य हो रहे हैं, जो समाज में बदलाव ला रहे हैं।

सेमिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए सेमिनार के संयोजक वसंत पंडित ने बताया कि 1968 में भारत रत्न राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख द्वारा स्थापित दीनदयाल शोध संस्थान (डीआरआई) ने चित्रकूट में पानी की कमी, आदिवासी बहुल और दूरदराज के इलाकों में संघर्ष मुक्त और आत्मनिर्भर गांवों के लिए अपने दृष्टिकोण का प्रदर्शन किया है। संस्थान की परियोजनाएं और उसके कार्य विशेष रूप से कृषि, जलवायु अनुकूल कृषि / वानिकी, आय सृजन और वित्तीय स्थिरता, जल और स्वच्छता, स्वास्थ्य और ज्ञान सह-निर्माण पर केंद्रित हैं और इन्हें बीड और गोंडा में सक्रिय रूप से दोहराया जा रहा है। दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन ने कहा कि सस्टेनेबल गोल के 17 बिंदु हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन को भारत रत्न नानाजी देशमुख ने चित्रकूट में साकार किया। सतत विकास के इन 17 लक्ष्यों के आगे भी कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें करना है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिपादित सतत विकास के निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए यह सेमिनार निर्णायक होगा। सतत विकास के लक्ष्य भारत के ‘ स्व ‘ में बसा हुआ है। यह भारतीय जीवनशैली का महत्वपूर्ण हिस्सा है। दीनदयाल शोध संस्थान के माध्यम से नाना जी ने ग्रामीण विकास के पांच लक्ष्य रखें जो भारत की जीवन शैली के अभिन्न अंग है। सतत विकास के लक्ष्य को संयुक्त राष्ट्र ने अडॉप्ट किया है। आज जिस वेबसाइट का उद्घाटन किया गया है वह एक ओपिनियन मेकर, डिसीजन मेकर के रूप में कार्य करेगी।
सतना सांसद गणेश सिंह ने कहा कि सतत विकास को लेकर यह आयोजन चित्रकूट में हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने 17 बिंदुओं को लेकर वर्ष 2015 से 2030 तक के लक्ष्य निर्धारित किए हैं। दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां सतत विकास से संबंधित विभिन्न चुनौतियां हैं। राष्ट्र ऋषि नानाजी ने 90 के दशक में चित्रकूट में कार्य शुरू किया। यह गरीबों का इलाका था यहां बड़ी चुनौतियां थी। नाना जी ने दीनदयाल शोध संस्थान के माध्यम से गांव-गांव जाकर स्वास्थ्य, कृषि, चिकित्सा, साक्षरता, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं स्वाबलंबन के क्षेत्र में काम किया। विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से नाना जी का योगदान रहा। यूनाइटेड नेशन में जो बिंदु तय किए हैं नानाजी की संस्था उन्हीं के अंतर्गत कार्य कर रही है। आयुर्वेद, शिक्षा, उद्यमिता, गोपालन, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना आदि सभी निर्धारित लक्ष्यों को लेकर कार्य किया जा रहा है। नाना जी का ग्राम विकास का मॉडल देश ही नहीं विश्व के लिए उपयोगी है। सांसद श्री गणेश सिंह ने चित्रकूट क्षेत्र के 500 गांव में जो प्रयोग हुआ है ऐसे मॉडल को विश्व के विभिन्न देशों में सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति एवं समस्याओं के निराकरण के लिए उपयोगी एवं प्रभावी बताया।
   इस अवसर पर चित्रकूट-बांदा के सांसद आर.के. सिंह पटेल, राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में श्री तोमर ने एसडीजी लक्ष्यों की संपूर्ण जानकारी के लिए एसडीजी इंटरवेंशन डॉट ओआरजी नाम से वेबसाइट लांच की। इस अवसर पर दक्षिण एशिया में एसडीजी का काम देख रहीं डॉ. नित्या केमकर लंदन ऑनलाइन जुड़ी, वहीं एसडीजी को आगे बढ़ाने में कार्यरत डॉ. काकोली घोष (एफओए, रोम) ने भी ऑनलाइन उद्बोधन दिया। एरिक सोलहेम (पेरिस) व  शोम्बी शार्प (संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट को-ऑर्डिनेटर) का भाषण भी आभासी माध्यम से हुआ। कार्यक्रम में देश-विदेश के विभिन्न संस्थानों के पदाधिकारियों के साथ ही बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन तथा अधिकारी भी उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र का संचालन दीनदयाल शोध संस्थान के महाप्रबंधक अमिताभ वशिष्ठ द्वारा किया गया। उद्घाटन सत्र के अंत में संगठन सचिव अभय महाजन द्वारा मंचासीन सभी अतिथियों एवं देश के विभिन्न राज्यों एवं अन्य देशों से जुड़े हुए सभी प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया।
     इस अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के विभिन्न प्रकल्पों ने अपने कार्यों एवं गतिविधियों की प्रदर्शनी लगाई है। देश भर से आए संस्थाओं के प्रतिनिधि रुचि पूर्वक नानाजी देशमुख की संकल्पना एवं कार्यशैली के प्रयासों एवं ग्राम विकास के अभिनव मॉडलों की अपने कार्य क्षेत्रों में संभावनाओं को तलाश रहे हैं। तीन दिनों तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का शुभारंभ केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। चार खंडों में लगाई प्रदर्शनी में सतत विकास के सभी लक्ष्यों के प्रतिपूर्ति की दिशा में संबंधित कार्यदायी संस्थाओं ने अपने-अपने स्टाल लगा रखे हैं।
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