– दवा के नियमित सेवन और साहस से जीती जंग
विश्व कैंसर दिवस (04 फरवरी) पर विशेष
चित्रकूट। दृढ़ इच्छा शक्ति, परहेज, नियमित दवा का सेवन और धैर्य हो तो किसी भी बीमारी को हराया जा सकता है। जिला मुख्यालय के सदर रोड निवासी गल्ला व्यवसायी कुलदीप कुमार ने कैंसर जैसी बीमारी से हिम्मत से लड़ते हुए स्वस्थ होकर यह साबित कर दिया है।
लगभग 54 वर्षीय कुलदीप कुमार को 12 सितंबर 2019 को आभास हुआ कि उनके गले में एक के बाद एक गांठ बढ़ती ही जा रही है। इसी के साथ उन्हे बांह के नीचे भी गांठ की शिकायत हुई। इस पर निर्णय लिया कि कोई बड़ी बीमारी घेर रही है। इसका सही तरीके से इलाज कराना जरूरी है। उन्होंने बताया कि चर्चा करने पर लोगों ने मध्य प्रदेश के जबलपुर जाकर दवा कराने की सलाह दी। इसके बाद उन्होंने जबलपुर मेडिकल कॉलेज में कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अर्पण सिंह को दिखाया। डॉक्टर ने मुंबई और नागपुर में इलाज कराने की बात कही। इसी दौरान भाभा कैंसर अस्पताल वाराणसी के डॉ अनिल सिंह जो कुलदीप कुमार के रिश्तेदार भी हैं को फोन पर सारी समस्या बताई गई। उन्होंने वाराणसी बुलाया और वहां पूरी जांच कराने के बाद पता चला कि पहले चरण का कैंसर है, यह दवा के सेवन और कीमोथेरेपी से ठीक हो जाएगा। कुलदीप कुमार बताते हैं कि पहली कीमोथेरेपी के दौरान बहुत पीडा हुई लेकिन हिम्मत नहीं हारी। इसी का परिणाम है कि चार बार की कीमोथेरेपी कराने और चिकित्सकों द्वारा बताई गई विधि के अनुसार नियमित दवा के सेवन और धैर्य से वह मार्च 2021 को पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। पिछले एक साल से पहले की तरह पूरे दिन गल्ले का व्यापार संभालते हैं।
प्रतिवर्ष 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य दुनिया भर में सरकारों और व्यक्तियों को इस बीमारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जागरूक बनाकर कैंसर से होने वाली मौतों को कम करना है। इस वर्ष 22 वां विश्व कैंसर दिवस मनाया जा रहा है।
क्या होता है कैंसर
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवरामपुर के प्रभारी डॉ लखन स्वरूप गर्ग ने बताया कि कैंसर शरीर की कोशिकाओं के समूह की असामान्य, अव्यवस्थित एवं अनियंत्रित वृद्धि है। यदि कोशिकाओं के समूह की असामान्य, अव्यवस्थित और अनियंत्रित वृद्धि की समय पर जांच व इलाज न हो तो यह शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकता है।
क्यों होता है कैंसर
डा गर्ग के मुताबिक कैंसर शरीर की कोशिकाओं के भीतर डीएनए (आनुवंशिक सामग्री) की क्षति के कारण होता है। डीएनए की क्षति सभी सामान्य कोशिकाओं में होती रहती है लेकिन इस क्षति में सुधार स्वयं के शरीर द्वारा हो जाता है। कभी-कभी इस क्षति का सुधार नहीं हो पाता जिससे कोशिकाओं के गुणों में परिवर्तन हो जाते हैं। संचित डीएनए की क्षति अंत में कैंसर को जन्म दे सकती है।
कैंसर के प्रमुख कारक
डॉक्टर गर्ग बताते हैं कि कैंसर के लिए कोई विशेष कारक जिम्मेदार नहीं है। इसमें शारीरिक कैंसरकारी तत्व: जैसे पराबैगनी और आयनीकरण विकिरण, रासायनिक कैंसर कारी तत्व: एसबेस्टस, तंबाकू, एफ्लोटाकसिन (दूषित आहार से), आर्सेनिक (दूषित पेयजल) से, जैविक कैंसर कारी तत्व वायरस, बैक्टीरिया या हेपेटाइटिस बी और सी वायरस और ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) जैसे परजीवियों से होने वाला संक्रमण। वृद्धावस्था कैंसर के विकास के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है। तंबाकू और अल्कोहल का सेवन अस्वास्थ्यकर आहार और शारीरिक निष्क्रियता इत्यादि।