टीकाकरण से ही कोविड से बचाव संभव- डॉ सूर्यकांत

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– कोविड टीका लगवाएं और भारत को कोरोना मुक्त बनाएं: डॉ. सूर्यकांत

– संक्रमण रोकने को टीकाकरण के साथ पांच जरूरी मंत्र भी अपनाएं 

चित्रकूट : कोविड टीकाकरण के एक साल पूरे होने पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के कोविड टीकाकरण के ब्रांड एंबेस्डर व केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा कि साल भर के अनुभव और दुनिया के आ रहे अध्ययन से यह साफ हो गया है कि कोविड-19 के संक्रमण से अगर खुद के साथ घर-परिवार व समुदाय को सुरक्षित रखना है, तो कोविड टीकाकरण कराना सभी पात्र लोगों के लिए बहुत जरूरी है।                     टीकाकरण के साथ जरूरी प्रोटोकाल (पाँच मंत्र) का पालन भी सभी की भलाई के लिए आवश्यक है। ज्ञात हो कि बीती 16 जनवरी 2021 से शुरू हुए कोविड टीकाकरण के पहले दिन पहला टीका डॉ. सूर्यकान्त ने लगवाया था। डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि कोविड की पहली लहर में तो बचाव का कोई टीका था ही नहीं, लेकिन दूसरी लहर में ज्यादातर वही लोग गंभीर रूप से कोरोना की चपेट में आए जिन्होंने टीका नहीं लगवाया था। देश में इस बीच कोरोना एक बार फिर तेजी से पाँव पसार रहा है। ऐसे में अभी हाल ही में मुंबई के एक अस्पताल से आए आँकड़े बताते हैं कि अस्पताल में भर्ती होने वाले 95 फीसद कोरोना संक्रमित ने टीके की दोनों डोज नहीं लगवा रखी थी। इसलिए सभी से यही अपील है कि संक्रमण को रोकने के लिए जब जिसकी बारी आए, वह टीकाकरण जरूर कराएं। टीका कोरोना से सुरक्षा तो प्रदान ही करेगा और अगर उसके बाद भी कोरोना की चपेट में आते हैं, तो ऐसी गंभीर स्थिति नहीं बनेगी की अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आए। 

     डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि देश के साथ ही प्रदेश ने एक साल के भीतर अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लगाने का कीर्तिमान बनाया है। इसे अभी आगे भी जारी रखना है ताकि कोरोना को पूरी तरह से खत्म करने में देश कामयाब बन सके। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश की बात करें तो 18 साल से अधिक उम्र के करीब पौने पंद्रह करोड़ लोगों को टीका लगाना था, जिसमें से करीब 13.71 करोड़ (93 फीसद) को पहली डोज लगाई जा चुकी है और 8.56 करोड़ (58 फीसद) को दोनों डोज लग चुकी है। 10 जनवरी से फ्रंट लाइन और हेल्थ केयर वर्कर के साथ ही 60 साल से अधिक उम्र के गंभीर बीमारी से ग्रसित बुजुर्गों को प्रीकाशन डोज (एहतियाती डोज) लगाई जा रही है, जिसके तहत अब तक करीब 3.84 लाख लोगों ने इस डोज को भी अपनाया है। 15 से 18 साल के किशोर-किशोरियों का भी टीकाकरण भी इसी माह तीन जनवरी से शुरू हुआ है। प्रदेश में इस श्रेणी के करीब 1.40 करोड़ बच्चों को टीका लगना है, जिसमें से 12 दिन में लगभग 50 लाख बच्चों का टीकाकरण किया जा चुका है। 12 साल से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण अभी नहीं चल रहा है, ऐसे में घर के सभी बड़ों की जिम्मेदारी है कि वह अपने साथ उन छोटे बच्चों की सुरक्षा के लिए टीके की निर्धारित डोज जल्दी से जल्दी लगवा लें। 

     उनका कहना है कि यह बात शुरू से बताई जा रही है कि कोरोना को मात देना है तो दो काम हाथों के लिए बहुत जरूरी हैं और दो काम पैरों के लिए। इसके तहत सबसे पहले तो किसी से भी हाथ मिलाने की जगह नमस्कार करना है और दूसरा हाथों को बार-बार साबुन-पानी से धुलते रहना है। तीसरा मंत्र यह है कि पैरों को भीड़भाड़ में जाने से रोकना है और चौथा एक दूसरे से दो गज की दूरी बनाए रखनी है। पाँचवाँ और आखिरी सबसे जरूरी मंत्र है कि मास्क से परेशान हुए बगैर उसका पालन करें क्योंकि कोरोना हर जगह और हर वक्त ताक लगाए बैठा है। जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभाते हुए सार्वजनिक जगहों पर हमेशा मास्क लगाकर रखें। यह कोरोना ही नहीं बल्कि वायु प्रदूषण व टीबी-निमोनिया समेत कई अन्य संक्रामक बीमारियों से भी बचाएगा।

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