धूमधाम से मनाया गया जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्मदिन

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– श्री रामकथा का तीसरा सत्र सम्पन्न

चित्रकूट : धर्मनगरी स्थित तुलसी पीठ के मानस हाल में जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज के जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित रामकथा का तीसरा सत्र शुक्रवार को सम्पन्न हुआ। शुक्रवार को कथा के बाद जगद्गुरु का 73वां जन्मोत्सव धूम-धाम से मनाया गया। जगद्गुरु के 73वें जन्मदिवस पर उनके शिष्यों ने 73 किलो की फूलों की माला तथा तथा 73 किलो का लड्डू बनवाया। जगद्गुरु के उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र दास ने उन्हें चाँदी का मुकुट तथा रत्नों की माला पहनाई। उसके बाद युवराज के नेतृत्व में कथा के यजमान मुंबई हाईकोर्ट के अधिवक्ता लालजी केवला प्रसाद त्रिपाठी, उमेश श्रीवास्तव, विवेक उपाध्याय, विपुल प्रकाश शुक्ल, मानस शुक्ल, विनय, गोविंद, उत्सव, दीनानाथ दास, मदनमोहन दास, आञ्जनेय दास, वैभव, विशंभर, डॉ मनोज पांडेय, हिमांशु त्रिपाठी, पूर्णेंदू तिवारी तथा रामजी पांडेय ने जगद्गुरु को 73 किलो की माला पहनाई।

     काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो रमाकान्त पांडेय ने जगद्गुरु से संबन्धित अपना संस्मरण सुनाया। उन्होने संस्कृत व्याकरण पर जगद्गुरु की जिज्ञासा तथा उनके समाधान के दिलचस्प प्रसंगों का उल्लेख किया। उन्होने बताया कि किस प्रकार जगद्गुरु रात्रि के दो-तीन बजे भी जिज्ञासा को शांत करने के लिए फोन मिला देते हैं। इसके साथ ही उन्होने राघव सरकार और जगद्गुरु के साहचर्य से संबन्धित कहानियाँ भी लोगों को बताई। जगद्गुरू रामभद्राचार्य विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार प्रो कांता प्रसाद तिवारी ने भी राघव परिवार को अपने संस्मरण सुनाए। उन्होने विद्यार्थी जीवन में जगद्गुरु की विलक्षणता, उनकी मेधा तथा परिश्रम की चर्चा की। इसके अतिरिक्त जेआरएचयू के कुलपति प्रो योगेश चंद्र दुबे, कुलसचिव आर पी मिश्र, लेखाधिकारी न्यायबन्धु गोयल, निर्मला वैष्णव आदि ने भी अपने संस्मरण सभी को सुनाए। उन्होंने लोक शैली में अपने कुलाधिपति के लिए बधाई गीत भी गया। जेआरएचयू के संगीत विभाग की प्रभारी ज्योति मिश्रा ने शास्त्रीय शैली में बधाई संगीत प्रस्तुत किया।

   अंत में तुलसीपीठ के उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र दास ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में गुरु से संबन्धित संस्मरण सुनाए। उन्होंने बताया कि किस प्रकार जगद्गुरु अपने पुत्रों की तरह शिष्यों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कई जन्मों तक जगद्गुरु के सानिध्य में कार्य करने की कामना व्यक्त की। उन्होंने बधाई गीत भी प्रस्तुत किया। इस गीत की धुन में सभी श्रोता, श्रद्धालु तथा शिष्य झूम उठे। इसके बाद व्यास पीठ की आरती के साथ कथा के तृतीय सत्र का समापन किया गया।

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